मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी की है। तीन दिन चली मौद्रिक समीक्षा कमेटी की दोमासिक बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास में रेपो रेट में आधा फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया। केंद्रीय बैंक ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। रेपो रेट बढ़ाए जाने से आवास और वाहन के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और पहले से लिए गए कर्ज की किस्तें बढ़ जाएंगी। इससे विकास दर पर नकारात्मक असर होगा। हालांकि रिजर्व बैंक ने विकास दर का अनुमान 7.2 फीसदी ही रखा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने महंगाई दर ऊंची होने का जिक्र करते हुए रेपो रेट में आधा फीसदी बढ़ोतरी का ऐलान किया। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 4.9 फीसदी से बढ़कर 5.4 फीसदी हो गया है। यह कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने के समय के स्तर से ज्यादा हो गया है। इससे पहले आरबीआई ने मई और जून में दो बार में रेपो रेट में 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। ब्याज दर बढ़ाए जाने की घोषणा करते हुए शक्तिकांत दास ने अपनी कहा- हम उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से गुजर रहे हैं और वित्तीय बाजार भी अस्थिर रहे हैं। वैश्विक और घरेलू परिदृश्यों को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति ने बेंचमार्क रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाते हुए मंदी का जोखिम जताया है। शक्तिकांत दास ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर कायम रखा है।
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में 6.7 फीसदी रहने का अनुमान भी बरकरार रखा है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सामान्य मॉनसून और कच्चे तेल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की संभावना के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई अनुमान को 6.7 फीसदी पर बरकरार है। हालांकि रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच चुके भारतीय रुपए को लेकर गवर्नर ने कहा कि रुपया व्यवस्थित तरीके से कारोबार कर रहा है। चार अगस्त तक यह 4.7 फीसदी कमजोर हुआ है। उन्होंने कहा कि रुपए में गिरावट की बड़ी वजह डॉलर का मजबूत होना है, न कि इसमें घरेलू अर्थव्यवस्था में आई किसी कमजोरी का हाथ है।