कोलंबो। श्रीलंका में चल रहे घनघोर आर्थिक संकट और भयावह राजनीतिक संकट बीच रानिल विक्रमसिंघे को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया है। वे इससे पहले पांच बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। हालांकि इस बार श्रीलंका की संसद में उनकी पार्टी का सिर्फ एक सांसद है। गौरतलब है कि महिंदा राजपक्षे ने देश में चल रहे हिंसक प्रदर्शन की वजह से सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उसके बाद भी हिंसा थम नहीं रही है। अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें एक सांसद भी शामिल हैं।
बहरहाल, प्रधानमंत्री के इस्तीफे से पैदा हुए राजनीतिक संकट को टालने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सभी पार्टियों को मिला कर यूनिटी सरकार बनाने का ऐलान किया है। इसी के तहत उन्होंने यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई। रानिल विक्रमसिंघ ने 2019 में अपनी पार्टी के दबाव के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 73 साल के रानिल को देश का सबसे अच्छा राजनीतिक प्रशासक माना जाता है और वे अमेरिका समर्थक भी माने जाते हैं। बताया जा रहा है कि जल्दी ही नई कैबिनेट भी शपथ लेगी।
इस बीच एक अहम घटनाक्रम के तहत पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके आठ करीबी सहयोगियों के देश छोड़ने पर एक अदालत ने रोक लगा दी। बताया जा रहा है कि इन सभी के पासपोर्ट जब्त किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि महिंदा राजपक्षे देश के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं और वे मौजूदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई हैं। सोमवार को इस्तीफा देने के बाद लोगों की नाराजगी से बचने के लिए उन्होंने घर छोड़ दिया था और नौसेना के एक बेस पर कड़ी सुरक्षा के बीच छिपे हैं।
दूसरी ओर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका सेंट्रल बैंक के गवर्नर पी नंदलाल वीरसिंघे ने कहा है कि अगर अगले दो हफ्ते के भीतर देश में राजनीतिक स्थिरता नहीं आई तो वे अपना पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि जब तक मौजूदा राजनीतिक संकट का हल नहीं निकाला जाता है तब तक देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने की कोशिशें नाकाम रहेंगी। गौरतलब है कि श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया है, देश कर्ज चुकाने में डिफॉल्टर हो गया है और जरूरी चीजों की कीमतों में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है।