महाशिवरात्रि में शिव पूजन को लेकर कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। देवों के देव महादेव के भक्तों को इन नियमों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। इस पवित्र दिन में शिव पूजा के जप, हवन, पूजा आदि बेहद शुभ माना जाता है; इसलिए पूजा, तप और जप के संबंध में कई परंपराएं स्थापित की गई हैं।
महाशिवरात्रि पूजा: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की शुभ त्रयोदशी तिथि को महाशिवरात्रि का धार्मिक पर्व मनाया जाता है। फरवरी में शनिवार को पड़ने वाले इस त्योहार के दौरान भगवान भोलेनाथ की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। किंवदंती में, पार्वती और शिव का विवाह समारोह इसी दौरान हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ रात्रि पर महादेव का सम्मान करने से आध्यात्मिक विकास के कई अवसर मिलते हैं। जिन भक्तों की उपेक्षा की जाती है, वे इस रात महादेव की पूजा करते समय थोड़ा भी क्रोधित हो जाते हैं। महाशिवरात्रि पर महत्वपूर्ण शिव साधनाएं करने की सलाह दी जाती है, जैसे जप, तप और पूजा-पाठ। इसके अतिरिक्त, माता के रूप में शिव और पार्वती के लिए इन अनुष्ठानों को करते समय कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है। इनमें पूजा, तपस्या और जप के लिए एक विशिष्ट कार्यक्रम बनाए रखना शामिल है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर इन अनुष्ठानों को करने से संबंधित सभी महत्वपूर्ण नियम!
महाशिवरात्रि पूजा के नियम
* पूजा में तुलसी का प्रयोग संयोग से नहीं किया जा सकता है। यह महाशिवरात्रि के पालन का पहला नियम है।
* शिवलिंग के लिए शंख का प्रयोग न करने पर शंख से जलाभिषेक करना दोष माना जाता है।
* भगवान शिव की पूजा करते समय तांबे के बर्तन का ही उपयोग करना शुभ होता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे का लोटा आदर्श होता है। हालांकि तांबे के लोटे में केवल जल चढ़ाना भी शुभ होता है। तांबे के बर्तन में पानी में दूध डालना उचित नहीं होगा। यह शिव पूजा के दौरान भी सच है।
* शिवरात्रि पर प्रसाद के रूप में किसी भी तरह का भोग या अन्य सामग्री ग्रहण न करें। इसके बजाय भोगी को लोगों में बांट दें।
* महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान व्यक्ति जिस दिशा में पूजा कर रहा है, उसी दिशा में उसका मुंह होना चाहिए। भोलेनाथ की पूजा के समय व्यक्ति का सिर पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
* बेलपत्र और शमी पत्र का वज्र भाग – तने से निकलने वाला मोटा भाग – शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले अलग कर लेना चाहिए। इसके बाद इसे शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।
* महाशिवरात्रि पूजा के दौरान घी का दीपक जलाना सौभाग्य माना जाता है; यह विशेष रूप से सिफारिश की जाती है जब शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है।