अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के अनुसार, 2022 की चौथी तिमाही में, वैश्विक केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी 58% तक गिर गई, जो 20 वर्षों में रिकॉर्ड कम है। यह अब 1995 के समान स्तर तक गिर गया है। डॉलर के प्रभुत्व को अन्य प्रमुख मुद्राओं द्वारा चुनौती दी जा रही है। कारण संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति में ही निहित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता, यूक्रेन युद्ध के नतीजे और अमेरिकी ऋण संकट दुनिया की प्रमुख मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार में डॉलर के विकल्प तलाश रही हैं। इनमें रूस, चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं। बांग्लादेश सहित एक दर्जन छोटे एशियाई देश भी अपनी-अपनी मुद्राओं में एक-दूसरे के साथ व्यापार कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल जारी है।
भारत रूसी तेल यूएई दिरहम और रूबल में खरीद रहा है। चीन ने 88 अरब युआन मूल्य का रूसी तेल, कोयला और धातु खरीदा। वैश्विक विदेशी मुद्रा लेनदेन में युआन का हिस्सा बढ़कर 7% हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के अनुसार, 2022 की चौथी तिमाही में, वैश्विक केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी 58% तक गिर गई, जो 20 वर्षों में रिकॉर्ड कम है। यह अब 1995 के समान स्तर तक गिर गया है।