कांग्रेस पार्टी को समझ में आ रहा है कि छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव को मनाने का फायदा नहीं है। तभी बताया जा रहा है कि रविवार को दिल्ली में होने के बावजूद कांग्रेस के आला नेताओं न सिंहदेव से मुलाकात नहीं की। ध्यान रहे सप्ताहांत में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दोनों दिल्ली में थे। बघेल को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है इसलिए उन्होंने दिल्ली में हिमाचल प्रदेश के नेताओं की बैठक बुलाई थी। बघेल ने बैठक की और रायपुर वापस लौट गए। टीएस सिंहदेव भी गुजरात के पर्यवेक्षक बनाए गए हैं लेकिन उनकी नाराजगी दूर नहीं हो रही है। पिछले हफ्ते उन्होंने अपने एक मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया।
असल में पिछले साल मई-जून में शुरू हुआ टकराव अभी समाप्त नहीं हुआ है और जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे टीएस सिंहदेव पार्टी आलाकमान को दबाव में लाने का प्रयास तेज कर रहे हैं। लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान को उनकी परवाह नहीं है। असल में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को ऐसी जानकारी मिली है कि वे कांग्रेस छोड़ सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि वे भाजपा नेताओं के संपर्क हैं और इसकी भी जानकारी पार्टी आलाकमान को है। हालांकि भाजपा में भी उनकी बात बन नहीं रही है। अगर कांग्रेस उनको मुख्यमंत्री नहीं बना रही है तो भाजपा भी नहीं बना रही है। इसलिए वे अपने विकल्प देख रहे हैं। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने अगला चुनाव बघेल के चेहरे पर लड़ने का फैसला किया है। इसलिए सिंहदेव को इस हकीकत को स्वीकार करके समझौता करते हुए कांग्रेस में रहना होगा।