बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने स्वीकार कर लिया है। बिहार में एनडीए की राजनीति भाजपा के हिसाब से नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के हिसाब से होगी। विधान परिषद और एक विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद से पार्टी बैकफुट पर है और उसके बाद नीतीश कुमार ने इफ्तार दावतों में विपक्षी पार्टियों के साथ जैसी नजदीकी दिखाई तो भाजपा को मैसेज गया और भाजपा आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पटना भेजा। ध्यान रहे प्रधान पहले बिहार के प्रभारी रह चुके हैं और नीतीश के साथ वे कम्फर्टेबल हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश के नेताओं को अलग रख कर हुई इस बातचीत में नीतीश ने दो टूक मैसेज दिया कि भाजपा को बिहार में उनके हिसाब से काम करना होगा।
सो, अब बताया जा रहा है कि भाजपा उनके हिसाब से आगे बढ़ेगी। इसका अंदाजा अगले दो महीने में लग जाएगा। राज्यसभा और राष्ट्रपति चुनाव के बाद बिहार में संगठन का बदलाव होगा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को हटाएगी। अगर जायसवाल की छुट्टी होती है तो यह अपने आप में इस बात का संदेश होगा कि भाजपा ने सरेंडर कर दिया है। जायसवाल के अलावा बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने विधानसभा के स्पीकर विजय सिन्हा को भी हटाने को कहा है। ध्यान रहे पिछले दिनों नीतीश और स्पीकर के बीच सदन में तीखी बहस हुई थी। नीतीश को खुश रखने के लिए भाजपा स्पीकर को भी हटा सकती है। इसके अलावा कुछ बड़बोले केंद्रीय मंत्रियों की छुट्टी होगी और प्रदेश में भड़काऊ बयानबाजी करने वाले पार्टी प्रवक्ताओं की छुट्टी हो सकती है। प्रदेश के प्रभारी भूपेंद्र यादव की जगह नया प्रभारी नियुक्ति करने की भी चर्चा है।