कोरोना के खतरे के साए तले दुनिया भर में इस संक्रमण से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं अब पूरी दुनिया में एक नए वायरल संक्रमण ने दस्तक दी थी संक्रमण को वैज्ञानिकों ने मंकीपॉक्स का नाम दिया है सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के आंकड़े के अनुसार अब तक 68 से अधिक देशों में 12556 से अधिक मामलों की पुष्टि की जा चुकी है 12333 केसेज 62 देशों से आए हैं जहाँ अभी तक कोविड संक्रमण अभी तक एंडेमिक नहीं बन पाया है।
वही भारत में अब मंकीबॉक्स के एक संदिग्ध पता चला है मंकीपॉक्स इंफेक्शन की वजह है अर्थोपोक्स जो स्मालपॉक्स या छोटे चेचक जैसा होता है हालांकि स्मालपॉक्स की तुलना में काफी कम गंभीर होता है ऐसे इंफेक्शन से जानवरों से इंसान तक फैल जाता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रसार हो सकता है वही मंकिपॉक्स कुछ हद तक संक्रमण कुछ हद तक चिकन पॉक्स से मिलता जुलता है हालांकि इनमें कुछ अंतर भी होते हैं।
डॉ.शरण्या नारायण, टेक्निकल डायरेक्टर और चीफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट, न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक ने बताया कि चिकन पॉक्स और मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के लक्षणों में क्या अंतर होते हैं दोनों के अंतर को कैसे पहचाना जाता है मंकी पॉक्स और चिकन पॉक्स में सबसे बड़ा अंतर यही है कि दोनों एक वजह से नहीं होता होता चिकनपॉक्स वेरिसला-जॉस्टर वायरस वायरस की वजह से होता है जबकि मंकीपॉक्स हर्पीज वायरस परिवार से संबंधित है अलग-अलग जीवाणु और वायरस की वजह से दोनों संक्रमण होते हैं इसलिए वायरस के व्यवहार के आधार पर मरीजों के लक्षण और बीमारी की गंभीरता भी अलग अलग ही होती है।
सीडीसी के अनुसार मंकीपॉक्स और चिकन पॉक्स का सबसे प्रमुख लक्षण यह है कि चिकन पॉक्स की वजह से लिम्फ नॉड्स में सूजन आती है वही मंकीपॉक्स में लिफ्ट नॉड्स का आकार बड़ा हो जाता है मंकीपॉक्स के लक्षण चिकन पॉक्स की तुलना में ज्यादा अधिक दिखते हैं मंकी पॉक्स के लक्षण आमतौर पर 5 से 12 दिन में दिखाई देते हैं मंकी पॉक्स में 1 से 5 दिनों में रैशेज दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों पर फैलने लगता है जबकि चिकनपॉक्स धीरे-धीरे चेहरे के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों पर फैलने लगता है आमतौर पर सबसे पहले चेहरे पर दिखाई देता है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगते है।