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आगरा । ताजमहल में दोबारा ड्रेस कंट्रोवर्सी का मामला सामने आया है। थाईलैंड से आए पयर्टकों के ग्रुप को ट्रेडिशनल लिबास पहन कर आने पर एंट्री नहीं मिली। बता दें कि पर्यटकों को लौटाने का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड होने लगा। बता दें कि इससे पहले भगवा कपड़ों में प्रवेश न देने पर काफी विवाद हुआ था।
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आपको बता दें कि बुधवार की सुबह थाईलैंड के छह पयर्टक ताजमहल का दीदार करने पहुंचे थे। उनके ग्रुप में तीन महिलाएं और तीन पुरूष थे। बता दें कि एक पयर्टक पैंट के ऊपर कुर्ता और बास्केट पहने था। जबकि दूसरा साधारण वेस्टर्न लिबास में था। जबकि तीसरा पयर्टक पैजामे के साथ अपनी ट्रेडिशनल वेशभूषा में था। वहीं इस ग्रुप में शामिल दो महिलाएं साड़ी और एक महिला लहंगा-चुनरी पहने हुई थी। उन महिलाओं के पास पीतल से बनी कुछ सामग्री थीं।
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बता दें कि पयर्टकों को लिबास को देख उन्हें पूर्वी गेट से चलता बना किया। लेकिन वहां खड़ा एक शख्स यह नजारा देख रहा था। तभी उनसे अपने मोबाइल कैमरे से पूरी घटना का वीडियो तैयार कर दिया और उस वीडियो का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल कर दिया। बताया जा रहा है कि पयर्टक ताजमहल के पूर्वी गेट पर 11:30 से दोपहर 12:00 बजे के बीच पहुंचे थे। बता दें कि थाईलैंड में किसी त्योहार को लेकर पयर्टक ट्रेडिशनल लिबास में ताजमहल में फोटो शूट करवाना चाहते थे। हालांकि ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस बाजपेई ने इस मामले में चुप्पी साध ली है।
गौरतलब है कि आयोध्या जनपद के संत जगतपुर परमहंस आचार्य को भगवा कपड़ों और ब्रह्मदंड के साथ ताजमहज में अंदर जाने से रोका दिया था। उस वक्त पुरातत्त्व विभाग के अधीक्षक आरके पटेल ने अपने बयान में कहा था कि “गाइडलाइन को देखते हुए जगद्गुरु परमहंस आचार्य को ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में जाने की इजाजत नहीं दी गई थी।”
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