
ढाका । प्रधानमंत्री शेख हसीना रविवार को पद्मा ब्रिज का उद्घाटन करेंगी। दुनिया के लिए तो यह एक आम पुल जैसा ही है, जिसमें ऊपर 6 लेन की रोड और नीचे रेलवे की पटरियां होंगी। लेकिन बांग्लादेश के लिए यह पुल उसके सुनहरे भविष्य की तरफ एक बड़ा कदम है। बांग्लादेश के इस सबसे लंबे और सबसे चुनौतीपूर्ण पुल को राष्ट्रीयता का प्रतीक माना जा रहा है। करीब 6 किमी लंबे इस पुल से देश के दक्षिण-पश्चिमी इलाके मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे।
इसकी वजह से देश के दक्षिणी पश्चिमी हिस्सों से ढाका की आवाजाही आसान हो जाएगी तथा व्यापार में तेजी आएगी, जिससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में भारी बढ़ोतरी होने वाली है। सरकार के लिए यह पुल इतना महत्वपूर्ण है कि उसे इसके पूरी तरह चालू होने से देश की जीडीपी में 1.23 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
6.15 किमी लंबा और 21.65 मीटर चौड़ा यह मल्टीपरपज रेल-रोड पुल पद्मा नदी पर बना है, जिसे बांग्लादेश में सबसे विशाल और खतरनाक नदी माना जाता है। 21 साल पहले प्रधानमंत्री ने इस पुल का शिलान्यास किया था। तब से लेकर अब तक यह पुल कई झंझावात झेल चुका है। वर्ल्ड बैंक ने पहले इसके लिए 1.2 अरब डॉलर की मदद का ऐलान किया था, लेकिन इसके निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर करीब एक दशक पहले योजना रद्द कर दी गई थी।
इसके बाद बांग्लादेश ने अपने पैसों से इसके निर्माण का बीड़ा उठाया। 7 साल पहले पुल का निर्माण शुरू हुआ, जिसका तैयार होना अब किसी सपने के पूरा होने जैसा है। अभी इस पर सिर्फ वाहनों की आवाजाही शुरू की जाएगी। अगले साल मार्च से ट्रेनों के परिचालन की भी उम्मीद है।
इस पर सड़क परिवहन चालू होने से पश्चिम के खुलना, जेसोर और बरीसाल जैसे इलाके राजधानी ढाका से सीधे जुड़ जाएंगे। अब तक बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी इलाके पद्मा नदी की वजह से अलग-थलग रहने पर मजबूर थे, जो अब मुख्यधारा से जुड़ने को तैयार हैं। इसका फायदा वहां रहने वाले करीब 3 करोड़ लोगों को होगा। जब यहां ट्रेन सर्विस शुरू होगी तो भारत के कोलकाता से ढाका की दूरी महज साढ़े तीन घंटे की रह जाएगी। इससे भारत के साथ कारोबार में तो इजाफा होगा ही, मैत्री एक्सप्रेस के जरिए यात्री भी आसानी से और जल्दी पहुंच सकेंगे।
2024 तक इस पुल से रोजाना 24 हजार वाहन गुजरने की उम्मीद है, जो 2050 तक बढ़कर 67 हजार हो जाएंगे। एडीबी और बाकी एजेंसियों का अनुमान है कि इस पुल की वजह से बांग्लादेश की इकॉनमी में कम से कम एक प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। दक्षिण-पश्चिमी इलाकों की जीडीपी 2.3 फीसदी तक बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार यह पुल देश को अपर मिडिल इनकम ग्रुप वाले देशों में लाने में मदद करेगा। इससे मैन्युफैक्चरिंग, एग्री बिजनेस, सर्विसेज और लॉजिस्टिक्स कारोबार में अगले 30 साल में 25 अरब डॉलर का फायदा होने का अनुमान है।
ढाका से करीब 40 किलोमीटर दक्षिण में बने इस ब्रिज को लेकर विवाद भी बहुत हुए हैं। इसके निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। विश्व बैंक ने तो पैसा देने से ही मना कर दिया। उसके बाद इसके चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा होने के भी आरोप लगे। वजह ये कि इस पुल का निर्माण चीन के सरकारी चाइना रेलवे ग्रुप से जुड़ी एक कंपनी ने किया है। भारत चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट्स पर चिंता जताता रहा है। एक प्रोजेक्ट पीओके से होकर भी गुजरता है। हालांकि बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में सफाई देते हुए दावा किया था कि पद्मा पुल बीआरआई का हिस्सा नहीं है। इसे पूरी तरह बांग्लादेश सरकार के पैसों से बनाया गया है।